जयपुर/नई दिल्ली, 29 जनवरी 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव की सियासी जंग अब और भी दिलचस्प हो गई है। इस बार सिर्फ दिल्ली के नेता ही नहीं, बल्कि राजस्थान के दिग्गज नेता भी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा बीजेपी का प्रचार संभाल रहे हैं, जबकि कांग्रेस की तरफ से सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मोर्चा संभाल रखा है।
बीजेपी का दमखम: सीएम भजनलाल का दिल्ली में प्रचार अभियान
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पिछले दो दिनों से दिल्ली में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने रिठाला, शालीमार बाग और मुंडका में चुनावी सभाएं कीं और दावा किया कि दिल्ली में इस बार बीजेपी की सरकार बनेगी। डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा, बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, और कई अन्य बीजेपी नेता भी प्रचार में जुटे हुए हैं। इन नेताओं का खास फोकस राजस्थानी प्रवासी वोटरों पर है, जो दिल्ली में बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
कांग्रेस भी मैदान में: सचिन पायलट और गहलोत की सक्रियता
कांग्रेस ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और टोंक विधायक सचिन पायलट दिल्ली में लगातार ताबड़तोड़ रैलियां और सभाएं कर रहे हैं। पायलट ने अपनी सभाओं में बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) पर जमकर निशाना साधा और कांग्रेस के समर्थन में माहौल बनाने की कोशिश की। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी नाम शामिल है। गहलोत भी दिल्ली की विभिन्न विधानसभा सीटों पर प्रचार अभियान चला रहे हैं। इनके अलावा पुष्पेंद्र भारद्वाज, धीरज गुर्जर, अशोक चांदना, संजना जाटव समेत राजस्थान के कई बड़े नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
राजस्थान के नेताओं का फोकस प्रवासी वोटरों पर
दिल्ली में बड़ी संख्या में राजस्थानी प्रवासी वोटर रहते हैं। यही कारण है कि राजस्थान के दोनों प्रमुख दलों ने अपने बड़े नेताओं को दिल्ली भेजा है। राजस्थान के नेताओं का मानना है कि अगर प्रवासी वोट बैंक को साध लिया जाए, तो दिल्ली के चुनावी नतीजों में बड़ा बदलाव आ सकता है।
5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को नतीजे
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच इस बार मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है। देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान के दिग्गज नेताओं की मेहनत किस पार्टी के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होती है।