टोंक, राजस्थान। विधानसभा उपचुनाव के दौरान टोंक जिले के समरावता गांव में हुई हिंसा के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने राज्य सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में मालपुरा उपखंड अधिकारी (एसडीएम) और क्षेत्रीय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, साथ ही पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं।
आयोग ने 30 दिनों में कार्रवाई की मांग की
एनसीएसटी की अध्यक्ष निरूपम चमका वाली समिति ने 2 अप्रैल 2025 को यह रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी। आयोग ने घटना में शामिल प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ 30 दिनों के भीतर कार्रवाई की सिफारिश की है। साथ ही, राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत जवाब भी मांगा गया है। रिपोर्ट में एसडीएम अमित चौधरी पर “जबरन मतदान कराने” के आरोप लगाए गए हैं, हालांकि उन्हें थप्पड़ मारे जाने की घटना को “अनुचित” बताया गया है।
क्या हुआ था घटनास्थल पर?
13 नवंबर 2024 को देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। मीणा ने आरोप लगाया कि एसडीएम मतदाताओं को “जबरन वोट डालने के लिए दबाव बना रहे थे।” इसके बाद पुलिस ने नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया, जिससे ग्रामीण भड़क गए और उन्हें छुड़ाकर ले गए। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जबकि ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव का आरोप लगाया। हिंसा में कई वाहनों को आग लगा दी गई। अगले दिन पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया और कई ग्रामीणों के खिलाफ कार्रवाई की।
राज्य सरकार पर बढ़ा दबाव
एनसीएसटी की रिपोर्ट ने इस मामले को फिर से चर्चा में ला दिया है। अब देखना है कि राज्य सरकार आयोग की सिफारिशों पर क्या कार्रवाई करती है। स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने उनके साथ “भेदभावपूर्ण व्यवहार” किया, जबकि पुलिस ने “अनावश्यक बल प्रयोग” किया। इस मामले में राज्य सरकार का जवाब अभी बाकी है, लेकिन विपक्षी दलों ने पहले ही प्रशासनिक विफलता और कानून-व्यवस्था की खामियों को उजागर करना शुरू कर दिया है।
