संसद सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस राहुल गांधी के समर्थन में देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन राजस्थान कांग्रेस में स्थिति अलग है जहां राज्य अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ‘हाल ही में राहुल गांधी के समर्थन में सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं होने’ की नेताओं की आलोचना की। डोटासरा ने कहा कि नेतृत्व के आदेश के बावजूद धरने और विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होने वाले नेताओं को पद से हटाया जा सकता है.
दरअसल, बीते दिनों जयपुर में पार्टी द्वारा आयोजित रैली के दौरान कांग्रेस नेताओं की कम संख्या को लेकर कई सवाल उठे थे, बाद में कहा गया कि कई मंत्रियों और सांसदों ने इस आयोजन में दिलचस्पी नहीं दिखाई। डोटासरा ने कहा कि राहुल गांधी के समर्थन में हो पार्टी के कार्यक्रमों से नदारद रहने पर कांग्रेसी नेताओं पर नाराज होते हुए कहा कि जिस पार्टी ने पहचान और पद सब कुछ दिया और उसी के नेता के संसद से हटाए जाने के बाद भी कुछ लोगों का खून नहीं खौलता है. उन्होंने कहा कि नेताओं के इस तरह की औपचारिकता करने पर लानत है.
डोटासरा ने प्रदर्शन कर रहे नेताओं से कहा कि हमें ऐसे नेता नहीं चाहिए जो अपने नेता का बचाव न करें. उन्होंने कहा कि अगले 6-8 महीने में इन नेताओं को पार्टी से निकाला भी जा सकता है और कांग्रेस की जंग में ये जिस किसी के भी बराबर होंगे चुनाव में हमारे साथ होंगे. डोटासरा ने कहा कि किसी भी नेता को पार्टी के कार्यक्रम से अनुपस्थित रहने पर कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए, ऐसी छुट्टियों को व्यवस्था समझ लें. उन्होंने कहा कि जब उच्चाधिकारियों से कार्यक्रम कराने का आदेश आएगा तो हम उसे पूरा करेंगे।
गौरतलब हो कि जयपुर में कांग्रेस ने पहले भी कई मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ जिला और शासन स्तर पर धरना प्रदर्शन किया है लेकिन हर बार छोटी भीड़ जुटाने का मुद्दा उठाया जाता है. वहीं, कई नेता और प्रतिनिधि भी समूह की गतिविधियों से अनुपस्थित रहे। हाल ही में रविवार को हुए कांग्रेस संकल्प सत्याग्रह में कई नेता देरी से पहुंचे. कांग्रेस के धरना प्रदर्शन में नेताओं की संख्या घटने का मुख्य कारण आम सहमति को माना जा रहा है, जबकि नेता और प्रदेश कार्यकर्ता पायलट और गहलोत खेमे में बंटे हुए हैं. इसके अलावा कई क्षेत्रों में जुलाई 2020 के बाद से नए क्षेत्रीय नेता नहीं चुने गए है.