दिल्ली की राजनीति एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों से गरमा गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन एक नए कथित घोटाले में फंसते नजर आ रहे हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने दोनों नेताओं को दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षा निर्माण में हुई अनियमितताओं के मामले में समन जारी किया है। जैन को 6 जून और सिसोदिया को 9 जून को पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया है।
क्या है पूरा मामला?
ACB ने अप्रैल 2025 में एक FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। FIR के अनुसार, अरविंद केजरीवाल सरकार के दौरान स्कूलों में 12,748 कक्षाओं के निर्माण पर कुल 2,892 करोड़ रुपये खर्च किए गए। आरोप है कि इन कक्षाओं की औसत लागत 24.86 लाख रुपये प्रति कक्षा रही, जबकि सरकारी अनुमान लगभग 5 लाख रुपये प्रति कक्षा का था।
जांच में सामने आया कि यह निर्माण कार्य 34 ठेकेदारों को सौंपा गया, जिनमें से कई AAP से कथित रूप से जुड़े हुए थे। निर्माण में ‘सेमी-पर्मानेंट स्ट्रक्चर’ (SPS) का उपयोग किया गया, जिसकी आयु 30 वर्ष होती है, लेकिन उसकी लागत पक्के आरसीसी ढांचे जितनी ही बताई गई — जिसकी आयु लगभग 75 वर्ष मानी जाती है।
घोटाले की परतें एक-एक कर खुलीं
ACB की जांच में यह भी सामने आया कि इस परियोजना की शुरुआती लागत 860.63 करोड़ रुपये थी, जो बाद में 90% तक बढ़ गई। लगभग 205 करोड़ रुपये की लागत “अतिरिक्त विशिष्टताओं” के नाम पर खर्च की गई, लेकिन CVC के दिशा-निर्देशों के अनुसार इस बढ़ोत्तरी पर नई निविदा निकालनी चाहिए थी, जो नहीं की गई। इसके अलावा लगभग 42.5 करोड़ रुपये का कार्य बिना निविदा प्रक्रिया अपनाए पुराने अनुबंधों पर करवाया गया। ACB ने सलाहकारों और वास्तुकारों की नियुक्ति प्रक्रिया को भी अपारदर्शी बताया।
तीन साल तक दबी रही CVC रिपोर्ट
इस मामले में CVC के मुख्य तकनीकी परीक्षक (CTE) की रिपोर्ट ने भी चौंकाया। रिपोर्ट में CPWD नियमावली 2014, GFR 2017 और CVC गाइडलाइंस के उल्लंघन की बात कही गई थी, लेकिन यह रिपोर्ट लगभग तीन साल तक दबा दी गई। इससे इस मामले पर शक और गहरा गया।
राजनीति में मचा घमासान
भाजपा नेताओं हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकंठ बख्शी की शिकायतों के आधार पर जांच शुरू हुई। अब दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मांग की है कि इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।
ACB ने स्पष्ट किया कि जांच सिर्फ सिसोदिया और जैन तक सीमित नहीं है। इसमें AAP से जुड़े अज्ञात अधिकारियों, ठेकेदारों और अन्य लोगों की भूमिका की भी गहराई से जांच की जाएगी।
AAP का पलटवार: बताया ‘राजनीतिक साजिश’
AAP ने इस पूरे मामले को भाजपा की “राजनीतिक साजिश” बताया है। पार्टी ने कहा कि जब दिल्ली में उनकी सरकार थी, तब भाजपा ने एसीबी की शक्तियां छीनकर उसे कमजोर कर दिया और अब उसी एजेंसी का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने में हो रहा है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा, “भाजपा इस तरह की कार्रवाई करके अपने झूठ और प्रोपेगेंडा के दम पर सरकार चलाना चाहती है। यह जांच नहीं, बल्कि प्रतिशोध की राजनीति है।”
अब आगे क्या?
अब सबकी निगाहें 6 और 9 जून पर टिकी हैं, जब सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया पूछताछ के लिए ACB के सामने पेश होंगे। यह मामला न केवल AAP की छवि और आगामी चुनावों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पारदर्शिता और खर्च की जवाबदेही को लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।
