“जनता के पायलट: ज़मीनी राजनीति का दूसरा नाम थे राजेश पायलट”

राजनीति में ऐसे बहुत कम नेता हुए हैं जिन्होंने वर्दी से संसद तक की यात्रा न सिर्फ ईमानदारी से तय की बल्कि आम जनता के दिलों में अमिट छाप भी छोड़ी। राजेश पायलट उन्हीं गिने-चुने नेताओं में से एक थे, जिनका जीवन सादगी, संघर्ष और सेवा का प्रतीक रहा।

वायुसेना से राजनीति तक का सफर

राजेश पायलट का जन्म 10 फरवरी 1945 को उत्तर प्रदेश के घूसी गांव में हुआ था। वे भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट रहे और फिर देश सेवा की भावना लिए राजनीति में कदम रखा। उनका असली नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह था, लेकिन वायुसेना में पायलट रहने की वजह से उन्हें ‘राजेश पायलट’ के नाम से पहचाना गया।

कांग्रेस में तेज़ी से उभार

1980 में वे कांग्रेस के टिकट पर दौसा से लोकसभा चुनाव जीते और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे चार बार सांसद रहे और नरसिम्हा राव सरकार में गृह राज्यमंत्री और दूरसंचार मंत्री जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली। उनकी छवि हमेशा एक सच्चे, ज़मीनी और बेबाक नेता की रही।

किसान, युवा और समाज के हर वर्ग के लिए आवाज़

राजेश पायलट किसानों और युवाओं की आवाज़ बनकर उभरे। वे अक्सर अपने चुनाव क्षेत्र में साइकिल से घूमते, सीधे लोगों से संवाद करते थे। उन्हें गुर्जर समाज का बड़ा चेहरा माना जाता है, लेकिन उन्होंने कभी अपनी राजनीति को जातिवादी दायरे में नहीं बांधा।

उनके जीवन के प्रमुख मूल्य:

  • सादगी: सरकारी बंगले की जगह अक्सर सादे आवास में रहना पसंद किया।

  • ईमानदारी: उनके खिलाफ कभी भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा।

  • जन जुड़ाव: वे आम लोगों के बीच समय बिताने में विश्वास रखते थे।

दुखद अंत

11 जून 2000 को जयपुर एयरपोर्ट जाते समय भंडाना के पास एक सड़क हादसे में उनका निधन हो गया। दुर्घटना की खबर सुनकर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। उनके साथ सुरक्षा गार्ड की भी मौत हुई थी। उस समय वे स्वयं कार ड्राइव कर रहे थे।

राजेश पायलट की विरासत

आज उनका बेटा सचिन पायलट उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए कांग्रेस का बड़ा चेहरा बन चुका है। सचिन ने कई बार सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि “मेरे पिता ने मुझे जो सबसे बड़ी सीख दी, वो है जनता के लिए काम करना और सच्चाई से न डरना।”

स्मृति और सम्मान

राजेश पायलट की स्मृति में जीरोता-भंडाना (दौसा) में भव्य स्मारक बना है, जिसका अनावरण 2012 में हुआ था। यह स्थल अब युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र बन चुका है। हर साल 11 जून को हजारों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने यहां पहुंचते हैं।


राजेश पायलट आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, कर्म और सेवा की भावना भारतीय राजनीति को एक दिशा दिखाते रहेंगे।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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