कोटा 12 सितम्बर। कृषि अनुसंधान केन्द्र पर संभागीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति की बैठक मंगलवार को आयोजित की गई जिसमें कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एके व्यास मुख्य अतिथि रहे। अध्यक्ष निदेशक अनुसंधान डॉ. प्रताप सिंह एवं अतिरिक्त निदेशक कृषि विस्तार खेमराज शर्मा खण्ड सह अध्यक्ष के रूप में मौजूद रहे।
कुलपति ने कहा कि अनुसंधान कार्य कृषकों की समस्या के आधार पर एवं उदेश्यपूर्ण होना चाहिये। ऐसी तकनीके विकसित करने की आवश्यकता है जो कृषकों के लिये आर्थिक दृष्टि से लाभकारी हो और मृदा व पर्यावरण का संरक्षण भी हो। उन्होंने वर्तमान समय में फसलों की उत्पादकता मे समन्वित प्रयासों से वृद्धि करने पर जोर दिया और नवीन कृषि तकनीकों पर अनुसंधान कार्य करने के लिए वैज्ञानिकों का आह्वान किया।
निदेशक अनुसंधान डॉ प्रताप सिंह ने बताया कि बैठक में किये गये अनुसंधान कार्यों का प्रस्तुतिकरण किया गया तथा अनुसंधान परिणामों के आधार पर रबी की विभिन्न फसलों के लिए 15 एवं उद्यानिकी फसलों के लिए 3 सहित 18 नवीन तकनीकी सिफारिशें अनुमोदित की गई। सरसों में अनुसंशित 100 प्रतिशत एनपीके के साथ 2.5 टन गोबर की खाद, एनपीके तरल जैव उर्वरक एवं जिंक घोलक, आलू में सिमित सिंचाई की परिस्थिति में कुफरी थार किस्म आलू में 100 प्रतिशत एनपीके के क्वीट्स मॉडल का अनुप्रयोग, आलू की फसल में एपिड, सफेद मक्खी एवं रस चूसक कीट प्रबंधन, गेंहूँ में शुन्य भू-परिष्करण एवं सिंचाई निर्धारण, धनिये में खरपतवार नियंत्रण, चिया फसल का बुवाई समय व विधि, टमाटर की फसल में एनपीके का पर्णिय छिड़काव, बैंगन में झुलसा रोग प्रबंधन, मैथी में खरपतवार प्रबंधन, मधुमक्खी पालन में पराग एकत्रीकरण आदि नवीन तकनीकों की सिफारिश कोटा खण्ड के लिये की गई।
कृषि अनुसंधान केन्द्र के प्रभारी तकनीकी अनुभाग डॉ. केएम शर्मा ने फिडवैक समस्याओं का निदान एवं गत बैठक में लिये गये निर्णयो पर की गई कार्यवाही का विवरण प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक उद्यान पीके सिंह, परियोजना निदेशक डॉ. जेके शर्मा, उप निदेशक एटीसी नान्ता जेपी पाठक, निदेशक मानव संसाधन डॉ महेन्द्र सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र बूंदी, बांरा, झालावाड़, सवाईमाधोपुर एवं कृषि उप अनुसंधान केन्द्रों के वैज्ञानिको के साथ उप निदेशकों, राज्य बीज निगम, राष्ट्रीय बीज निगम एवं अन्य कृषि अधिकारियों ने भाग लिया।