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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई नाराजगी, अनुच्छेद 142 को बताया लोकतंत्र के लिए ‘परमाणु मिसाइल’

5 — उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए 3 महीने की समयसीमा तय की गई थी। धनखड़ ने इसे संविधान की भावना के विरुद्ध बताते हुए कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं, क्योंकि वे संवैधानिक रूप से सर्वोच्च पद पर आसीन हैं और संविधान की रक्षा व संवर्धन की शपथ लेते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के न्यायिक हस्तक्षेप लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर खतरा हैं। धनखड़ ने अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए इसे “लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल” तक करार दिया। उन्होंने तमिलनाडु से जुड़े एक मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्रपति के निर्णयों की न्यायिक समीक्षा एक चिंताजनक चलन है।

‘हमें बेहद संवेदनशील होना होगा’

उपराष्ट्रपति ने कहा, “हाल में एक निर्णय में राष्ट्रपति को आदेश दिया गया। क्या हम यह सोच रहे हैं कि हम कहां जा रहे हैं? हमें बेहद संवेदनशील होना होगा। यह सिर्फ समीक्षा की बात नहीं है, यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों से जुड़ा मसला है।”

जस्टिस वर्मा नकदी मामला भी उठा

धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी नकदी मिलने के मामले का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सात दिन तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जो न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

‘एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई?’

उपराष्ट्रपति ने पूछा कि जज के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई, जबकि कानून के अनुसार किसी भी संवैधानिक पदाधिकारी पर कार्रवाई हो सकती है, चाहे वह कितना भी उच्च पद पर क्यों न हो। “इसके लिए सिर्फ कानून के शासन की आवश्यकता है, न कि किसी विशेष अनुमति की,” उन्होंने जोड़ा।

लोकतंत्र और न्यायपालिका के बीच संतुलन की जरूरत

धनखड़ की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब देश में न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं को लेकर बहस तेज है। उपराष्ट्रपति की यह स्पष्ट चेतावनी न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

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