बूंदी 23 नवंबर। राजस्थान का वैभव बूंदी राजघराना आज भी अपनी शानो शौकत के साथ पौराणिक धरोहर को संजोए हुए हैं. यहां की कला एवं वैभव को देश विदेश में विख्यात करने एवं पर्यटकों को एक मंच पर लाने के लिए तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसे बूंदी महोत्सव के नाम से जाना जाता है बूंदी महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ साथ संस्कृति के सतरंगी रंग भी देखने को मिलेंगे इसी संदर्भ में आज ईश्वरी निवास पर बूंदी महाराव राजा वंशवर्धन सिंह ने विदेशी पर्यटकों के बीच आगामी दिवस में आने वाले बूंदी महोत्सव के पोस्टर व निमंत्रण पत्र दे कर विदेशी पर्यटकों को बूंदी महोत्सव में शामिल होने का आमंत्रण दिया।
इस मोके पर सामाजिक कार्यकर्ता पुरषोत्तम पारीक ने पर्यटको को तिलक लागा कर माला पहनाकर स्वगत किया बूंदी महाराव ने बूंदी इतिहास से जुड़ी कई बाते पर्यटकों से सांझा की उपरांत बूंदी महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए उन्होने पर्यटकों को बताया की इस महोत्सव की शुरुआत साल 1995 में जन सहयोग से की गई थी.साल 1995 इसकी रूपरेखा तैयार हुई थी और साल 1996 में पहला बूंदी महोत्सव आयोजित हुआ था. और पहला बूंदी महोत्सव पूरी तरह जन भगीदारी से किया गया था. तत्कालीन जिला कलेक्टर मधुकर गुप्ता ने आम जन को इस उत्सव से जोड़ने के लिए इसकी पहल की थी. उन्होंने साल 1995 में इंटेक के कोटा में हुए लेखक नेचर प्रमोटर एवं ख्यातनाम फोटोग्राफर एएच जैदी के कार्यक्रम में हेरिटेज ऑफ हड़ौती स्लाइड शो देखा था. वह इससे प्रभावित हुए, इसके बाद सभी के सहयोग से बून्दी महोत्सव आयोजित किया गया था.