जयपुर: राजस्थान में सरकार बदलने के साथ ही राजनीतिक प्राथमिकताएं और नीतियां भी बदलती दिख रही हैं। राज्य की भाजपा सरकार ने पिछले 11 महीनों में कांग्रेस सरकार की दस योजनाओं के नाम बदल दिए हैं। इनमें से अधिकतर योजनाओं के नाम गांधी परिवार के सदस्यों—इंदिरा गांधी और राजीव गांधी—पर आधारित थे। इसके अलावा, कुछ योजनाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
नाम बदलने का सिलसिला जारी
कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू की गई कई योजनाओं के नाम गांधी परिवार से प्रेरित थे, लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही इन नामों को हटाकर नई पहचान दी है। उदाहरण के तौर पर, चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना को अब मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना नाम दिया गया है। इसी तरह, इंदिरा रसोई योजना, जो सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध कराती थी, को अब अन्नपूर्णा रसोई योजना कहा जा रहा है।
राज्य की मौजूदा सरकार ने राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस कर दिया है। इसी क्रम में राजीव गांधी जल स्वावलंबन योजना अब मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के नाम से जानी जाती है।
योजनाओं का नया नामकरण और मर्जर
सरकार ने न केवल योजनाओं के नाम बदले, बल्कि कुछ योजनाओं को मर्ज करके नई योजना बनाई है। उदाहरण के लिए, इंदिरा महिला शक्ति उड़ान योजना, इंदिरा महिला शक्ति जागरूकता शिक्षा कार्यक्रम, और इंदिरा महिला एवं बाल विकास शोध संस्थान योजना को मिलाकर अब कालीबाई भील संबल योजना का नाम दिया गया है।
मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक योजना कर दिया गया है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना अब पन्नाधाय बाल गोपाल योजना के रूप में कार्यरत है।
बंद हुई प्रमुख योजनाएं
कई योजनाओं को पूरी तरह से बंद भी कर दिया गया है। इंदिरा स्मार्टफोन योजना, जो 1.35 करोड़ महिलाओं को मुफ्त स्मार्टफोन देने की योजना थी, को भाजपा सरकार ने चुनावी रणनीति बताते हुए बंद कर दिया। इस योजना के तहत केवल 40,000 महिलाओं को स्मार्टफोन दिए गए थे।
इसी तरह, राजीव गांधी युवा मित्र कार्यक्रम को भी बंद कर दिया गया। यह कार्यक्रम सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए युवाओं को रोजगार प्रदान करता था, लेकिन इसे रोकने से हजारों युवा बेरोजगार हो गए।
राजनीतिक दृष्टिकोण से नामकरण का महत्व
सरकारों के लिए योजनाओं का नाम बदलना केवल प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी होता है। कांग्रेस सरकार ने जब 2018 में सत्ता संभाली थी, तो उसने भाजपा सरकार की कई योजनाओं के नाम बदले थे। अब भाजपा सरकार वही प्रक्रिया दोहरा रही है।
आगे की संभावनाएं
जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में और योजनाओं के नाम बदले जा सकते हैं। वर्तमान में कई ऐसी योजनाएं हैं जिनमें गांधी परिवार का नाम जुड़ा हुआ है, लेकिन वे लोकप्रिय नहीं हैं। ऐसे में भाजपा सरकार इन्हें भी बदलने पर विचार कर सकती है।