नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संभल हिंसा पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे एक “सोची-समझी साजिश” करार दिया है। मंगलवार को लोकसभा में इस मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने पुलिस, प्रशासन और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाए।
अखिलेश यादव ने क्या कहा?
अखिलेश यादव ने कहा, “संभल की घटना अचानक नहीं हुई, बल्कि यह एक सोची-समझी साजिश थी। यह सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे को तोड़ने का प्रयास है। जो लोग देश में खुदाई की बातें कर रहे हैं, वे हमारी गंगा-जमुनी तहजीब को खत्म करने पर तुले हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन ने घटना को रोकने में लापरवाही बरती और माहौल को खराब करने वालों का साथ दिया। उन्होंने मांग की कि दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जाए।
उपचुनाव और कोर्ट के आदेशों पर सवाल
अखिलेश यादव ने संभल हिंसा के समय और कारण पर सवाल उठाते हुए इसे राजनीतिक साजिश का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव 13 नवंबर को होने थे, लेकिन अचानक इसे 20 नवंबर तक बढ़ा दिया गया। इसके बाद 19 नवंबर को संभल की शाही जामा मस्जिद के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिविजन के पास एक याचिका दायर की गई, और बिना दूसरे पक्ष को सुने, उसी दिन सर्वे का आदेश दिया गया।”
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि केवल दो घंटे बाद सर्वे टीम पुलिस बल के साथ मस्जिद पहुंच गई। “यह सब पूर्व नियोजित था,” यादव ने कहा।
माहौल बिगाड़ने की साजिश का आरोप
अखिलेश यादव ने भाजपा और उसके सहयोगियों पर देशभर में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं और इसका मकसद समाज में दरार डालना है।
अखिलेश यादव की मांग
1. हिंसा में शामिल पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए।
2. दोषियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
3. सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
निष्कर्ष
संभल हिंसा ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर एक नई बहस छेड़ दी है। अखिलेश यादव ने इसे सत्तारूढ़ दल की रणनीति बताते हुए समाज में शांति और भाईचारे की अपील की है। अब देखना होगा कि इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारें क्या कदम उठाती हैं।