“15 साल मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत बोले: BJP स्कूली शिक्षा को बर्बाद करने पर आमादा”

जयपुर: राजस्थान में स्कूली शिक्षा को लेकर राजनीति गरमा गई है। भजनलाल सरकार द्वारा सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के लिए बनाई गई कमेटी पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य कांग्रेस नेताओं ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित कर रही है।

क्या है मामला?

भजनलाल सरकार ने कांग्रेस शासनकाल में शुरू की गई महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के लिए डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है। कमेटी में चार मंत्री शामिल हैं, लेकिन कोई शिक्षाविद या विशेषज्ञ नहीं है। कांग्रेस का दावा है कि सरकार इन स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदलने की योजना बना रही है, जिससे गरीब वर्ग के बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

गहलोत का हमला

15 साल तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार ने सरकारी स्कूली शिक्षा को बर्बाद करने का संकल्प लिया है। सरकारी स्कूलों में नामांकन घट रहा है, और बच्चों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। अब वे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करके गरीब बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।” गहलोत ने इसे निजी स्कूलों के दबाव में लिया गया निर्णय बताया और कहा कि यदि स्कूलों में समस्याएं हैं, तो उन्हें सुधारने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए, न कि उन्हें बंद करने के।


डोटासरा और अन्य कांग्रेस नेताओं का बयान

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने की साजिश कर रही है। “भाजपा नेताओं के बच्चे महंगे स्कूलों और विदेशों में पढ़ते हैं। लेकिन गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। यह भाजपा का दोगला रवैया है।” नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इसे प्रदेश को पीछे धकेलने का प्रयास बताया और चेतावनी दी कि “अगर सरकार ने जनविरोधी कदम उठाया, तो कांग्रेस ईंट से ईंट बजा देगी।”


भाजपा का पक्ष

भजनलाल सरकार का कहना है कि समीक्षा का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में सुधार करना है। सरकार का तर्क है कि कांग्रेस शासन में कई स्कूलों को संसाधन और स्टाफ की कमी के बावजूद अंग्रेजी माध्यम में बदला गया, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हुई।

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