दिल्ली चुनाव 2025: कांग्रेस का MOS फॉर्मूला, AAP-भाजपा पर क्या होगा असर?

नई दिल्ली: दिल्ली में 2025 विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी ने अल्पसंख्यक (Minority), पिछड़ा वर्ग (OBC), और अनुसूचित जाति (SC) यानी MOS फॉर्मूला अपनाते हुए अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से मजबूत करने का फैसला किया है। 13 जनवरी को राहुल गांधी की पहली जनसभा के साथ, कांग्रेस चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी।

मुख्य बिंदु:

  • कांग्रेस का फोकस: पार्टी अल्पसंख्यक, OBC और SC वोटरों को साधने में जुटी।
  • राहुल गांधी की रैली: पहली रैली सीलमपुर में, जहां से पार्टी ने पूर्व AAP विधायक को टिकट दिया है।
  • कांग्रेस का दावा: झुग्गी-झोपड़ी और विकास से जुड़े मुद्दों पर जोर।

MOS फॉर्मूला: कांग्रेस का नया दांव

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही कांग्रेस ने खासकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों जैसे मुस्तफाबाद, ओखला, और बल्लीमारान पर ध्यान केंद्रित किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले और सामाजिक अल्पसंख्यक कांग्रेस के पारंपरिक समर्थक रहे हैं, जिन्हें फिर से जोड़ने की कवायद चल रही है।

कांग्रेस का दावा:

  • विकास के मुद्दों पर जोर देकर कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।
  • पार्टी के कार्यकर्ता, शीला दीक्षित सरकार के दौरान हुए विकास कार्यों का हवाला देते हुए वोटरों से जुड़ रहे हैं।

राहुल गांधी की रैली और उम्मीदवारों की घोषणा

13 जनवरी को सीलमपुर में राहुल गांधी की पहली रैली होने जा रही है। पार्टी ने कुछ प्रमुख सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है:

  • सीलमपुर: अब्दुल रहमान (पूर्व AAP विधायक)
  • बल्लीमारान: हारून यूसुफ (पूर्व मंत्री)
  • मटिया महल: आसिम अहमद खान (AAP के पूर्व मंत्री)
  • बाबरपुर: मोहम्मद इशराक खान (पूर्व AAP विधायक)

AAP और भाजपा के लिए चुनौती?

विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस का MOS फॉर्मूला AAP के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है। खासकर अल्पसंख्यक इलाकों में कांग्रेस और AAP के बीच सीधी टक्कर होने की संभावना है। दूसरी ओर, भाजपा अपनी स्थिर वोटबेस को लेकर आश्वस्त है।

क्या बदलेगी दिल्ली की राजनीतिक तस्वीर?

2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को महज 4.26% वोट मिले थे। हालांकि, पार्टी अब उन सीटों पर फोकस कर रही है जहां पिछले चुनाव में उसे 10,000 से अधिक वोट मिले थे। कांग्रेस का यह आक्रामक रुख संकेत देता है कि वह इस बार मजबूती से लड़ाई में उतरने की तैयारी कर रही है।

निष्कर्ष:
दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस का MOS फॉर्मूला कितना असरदार साबित होगा, यह आने वाले हफ्तों में साफ होगा। AAP और भाजपा पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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