बेंगलुरु। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने करीब 300 करोड़ रुपये मूल्य की 140 से अधिक अचल संपत्तियां कुर्क की हैं। यह कार्रवाई MUDA के भूमि आवंटन में कथित गड़बड़ियों की जांच का हिस्सा है। इस मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य शामिल बताए जा रहे हैं।
राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग
ईडी के बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर आरोप है कि उन्होंने अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करते हुए अपनी पत्नी बीएम पार्वती के नाम पर 14 भूखंडों के लिए मुआवजा हासिल किया। यह भूमि MUDA ने मूल रूप से मात्र 3.24 लाख रुपये में अधिग्रहित की थी, जबकि मुआवजे के रूप में प्राप्त 14 भूखंडों की बाजार कीमत लगभग 56 करोड़ रुपये है।
रियल एस्टेट कारोबारियों की मिलीभगत
जांच में पाया गया कि पार्वती को आवंटित 14 भूखंडों के अलावा, MUDA ने कई अन्य भूखंड रियल एस्टेट कारोबारियों को मुआवजे के रूप में अवैध रूप से आवंटित किए। इन भूखंडों को भारी मुनाफे पर बेचकर बेहिसाब नकदी अर्जित की गई।
बेनामी लेनदेन और डमी व्यक्तियों का उपयोग
ईडी ने कहा कि जांच में डमी व्यक्तियों और राजनीतिक रूप से जुड़े लोगों के नाम पर संपत्तियों का आवंटन पाया गया। संपत्तियों की खरीद-फरोख्त से जुड़े बेहिसाब लेनदेन और रिश्वत के प्रमाण भी बरामद हुए हैं।
पूर्व MUDA आयुक्त की भूमिका
ईडी ने पूर्व MUDA आयुक्त डी. बी. नटेश की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने बीएम पार्वती को मुआवजे के रूप में अवैध रूप से साइटें आवंटित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लक्जरी संपत्तियां और रिश्तेदारों के नाम पर धन हस्तांतरण
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि MUDA के पिछले आयुक्त जी. टी. दिनेश कुमार के रिश्तेदारों के नाम पर संपत्तियों और लक्जरी वाहनों की खरीद के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से धन हस्तांतरित किया गया।
लोकायुक्त पुलिस की एफआईआर के आधार पर कार्रवाई
ईडी का यह मामला मैसूर लोकायुक्त पुलिस द्वारा सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर आधारित है। एजेंसी ने कहा कि जांच जारी है और भविष्य में और खुलासे हो सकते हैं।