अलवर। तिजारा की कुख्यात अरशद गैंग एक दशक बाद फिर सक्रिय हो गई है। गैंग के तस्कर शनिवार देर रात शहर के भूरासिद्ध मंदिर रोड से दो गायों को पिकअप में भरकर ले गए। पुलिस के पीछा करने पर तस्करों ने पथराव और फायरिंग कर दी। भागते समय रूपबास रोड पर तस्करों की पिकअप दीवार से टकरा गई।
पुलिस ने घेराबंदी कर एक तस्कर को गिरफ्तार किया घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक तस्कर को गिरफ्तार कर लिया और गोवंश को मुक्त कराया। साथ ही पिकअप को जब्त किया गया, जिसमें से देशी शराब की दो पेटियां, एक देशी कट्टा और कारतूस बरामद हुए। पिकअप में प्लास्टिक के कैरेट में पत्थर भरे हुए थे, जो पुलिस पर हमले के लिए इस्तेमाल किए गए।
अरावली विहार थानाधिकारी रामेश्वर लाल ने बताया कि घटना रात करीब ढाई बजे की है। गोतस्करों की सूचना मिलने पर रात्रि गश्त में मौजूद थाने के हेड कांस्टेबल घनश्याम मीणा ने एसएमडी चौराहे के निकट उनकी गाड़ी को रोकने की कोशिश की, लेकिन तस्करों ने पुलिस पर पथराव और फायरिंग करते हुए भवानी तोप चौराहा की ओर भागने का प्रयास किया।
इस दौरान पिकअप रूपबास रोड पर सरस डेयरी की दीवार से जा टकराई। पुलिस ने घेराबंदी कर पिकअप को पकड़ लिया, लेकिन चार गोतस्कर मौके से फरार हो गए। गिरफ्तार आरोपी की पहचान जुबेर खां (28) पुत्र दीन मोहम्मद निवासी ताजू का बास-तिजारा के रूप में हुई है। पुलिस ने गोवंश को मुक्त कर मालिकों को सौंप दिया।
गैंग का सरगना अरशद मौके से फरार जानकारी के अनुसार, इस घटना को अंजाम देने के लिए गैंग का सरगना अरशद खुद अपने साथियों के साथ आया था। पुलिस की घेराबंदी को देखकर अरशद, अतर उर्फ मित्तल, जमशेद बिंजारा और अरशद का भतीजा पिकअप से कूदकर फरार हो गए। गिरफ्तार किया गया आरोपी जुबेर खां हाल ही में अरशद गैंग से जुड़ा था। उसके खिलाफ दौसा के लालसोट थाने में पुलिस पर गाड़ी चढ़ाने और राजकार्य में बाधा डालने समेत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। जब्त की गई पिकअप जुबेर की ही बताई जा रही है।
अरशद गैंग का आपराधिक इतिहास करीब एक दशक पहले तिजारा के पालपुर की अरशद गैंग काफी कुख्यात थी। इस गिरोह के खिलाफ चोरी, लूट, डकैती, गोतस्करी, फायरिंग और राजकार्य में बाधा डालने सहित दर्जनों मामले दर्ज हैं। वर्ष 2013 में पुलिस ने अरशद और मित्तल समेत गिरोह के चार बदमाशों को गिरफ्तार किया था।
लेकिन जब पुलिस उन्हें तिजारा कोर्ट में पेश करने ले जा रही थी, तो गिरोह के अन्य बदमाशों ने कोर्ट परिसर में ही पुलिस वाहन पर फायरिंग कर दी और चारों बदमाशों को छुड़ा ले गए। इस घटना के बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संतोष चालके को अलवर से हटा दिया गया था।
जेल से छूटते ही फिर अपराध में सक्रिय हुआ गिरोह एक दशक पहले जेल जाने के बाद गैंग की गतिविधियां धीमी हो गई थीं, लेकिन हाल ही में अरशद और उसके खास गुर्गे अतर उर्फ मित्तल के जेल से छूटने के बाद गिरोह दोबारा सक्रिय हो गया है। पुलिस अब फरार बदमाशों की तलाश में जुटी है और जल्द ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी संभव है।
