राजस्थान विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर की गई टिप्पणी और कांग्रेस विधायकों के निलंबन के बाद माहौल गरमा गया है। इसी बीच, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को लेकर की गई टिप्पणी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। मंगलवार को सदन में स्पीकर भावुक हो गए, जिसके बाद सत्ता पक्ष ने डोटासरा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
क्या होगा डोटासरा का भविष्य?
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन में कहा कि राजस्थान विधानसभा की लंबी और गरिमामयी परंपरा रही है, लेकिन डोटासरा द्वारा की गई टिप्पणी असहनीय है। उन्होंने कहा, “ऐसे शब्द सुनने के लिए मैं विधानसभा में नहीं आया। डोटासरा विधायक बनने के योग्य नहीं हैं, इस पर निर्णय सदन को लेना है।” उनके इस बयान के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि डोटासरा पर 4 साल तक के निलंबन की तलवार लटक सकती है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि उन्होंने कोई अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं किया। उन्होंने कहा, “अगर सत्ता पक्ष के पास कोई प्रमाण होता तो वे वीडियो जारी कर देते। हमने सिर्फ मंत्री के बयान को स्पंज कराने की अपील की थी।”
विवादित बयान ने बढ़ाई मुश्किलें
विवाद की जड़ तब बनी जब डोटासरा ने स्पीकर की कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा, “क्या सदन इनके बाप की जागीर है?” इस पर बीजेपी विधायक श्रीचंद कृपलानी ने आपत्ति जताई और कहा कि “आसन के लिए तो ऐसी भाषा मत बोलो।” लेकिन डोटासरा ने जवाब दिया, “जो सम्मान के लायक हो, उसे सम्मान दिया जाता है। जो लायक नहीं, उससे जूते से बात की जाती है। सदन इसके बाप का नहीं है!”
क्या होगी अगली कार्रवाई?
विधानसभा में जारी इस गतिरोध के बाद अब नजरें सत्ता पक्ष की अगली रणनीति पर हैं। यदि सदन डोटासरा के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो यह राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम होगा। सत्ता पक्ष का रुख सख्त नजर आ रहा है और आने वाले दिनों में इस मामले पर बड़ा फैसला हो सकता है।
