राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे. इसको लेकर पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. कांग्रेस ने गुरुवार को 29 29 सदस्यीय प्रदेश चुनाव समिति का गठन किया। पार्टी नेता गोविंद सिंह डोटासरा भी समिति के प्रमुख होंगे. सदस्यों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रीय चुनाव आयोग के गठन के प्रस्ताव का समर्थन किया. इनमें रघुवीर मीणा, रघु शर्मा, हरीश चौधरी, प्रताप सिंह खाचरियावास, रामेश्वर डूडी, मोहन प्रकाश और लालचंद कटारिया फॉन्ट पार्टी डू पैनल शामिल हैं.
चुनाव विभाग में गहलोत के दो प्रमुख समर्थक और राजस्थानी मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी का नाम सूची में नहीं था. ये वो दो बड़े नाम हैं जिन पर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक से इतर अशोक गहलोत के समर्थन में रैली आयोजित कर नकारात्मक आरोपों की चेतावनी दी है.
जुलाई में अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, राजस्थान कांग्रेस नेता सुखजिंदर रंधावा, गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट और राज्य के कई सांसदों और मंत्रियों के साथ बैठक हुई थी. यह बैठक दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में हुई. वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद कमेटी का गठन किया गया. बैठक में सीएम अशोक गहलोत भी शामिल हुए.
बैठक के बाद कांग्रेस ने कहा कि अगर एकजुटता रहे तो वह राजस्थान विधानसभा चुनाव जीत सकती है और चेतावनी न मानने वालों और पार्टी के बाहर बोलने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी. वहीं पार्टी ने ये भी साफ कर दिया है कि वो इस साल के चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए अपना चेहरा सामने नहीं लाएगी.
सचिन पायलट ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने पार्टी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सलाह पर अशोक गहलोत के साथ अपना झगड़ा खत्म कर दिया और कहा कि आम चुनावों के लिए पार्टी नेतृत्व ही एकमात्र रास्ता है। कांग्रेस के जिन नेताओं की नजरें राजस्थान में सरकार बचाए रखने पर टिकी हैं. पार्टी ने गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी के बीच एक समझौता किया, जो अब रेगिस्तानी राज्य में पार्टी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं।