राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को पूरक सवाल पूछने की अनुमति नहीं मिलने पर कांग्रेस विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया और वॉकआउट कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
प्रश्नकाल के दौरान टीकाराम जूली बिजली से जुड़े एक और पूरक प्रश्न पूछना चाहते थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। स्पीकर का तर्क था कि जूली को पहले ही दो पूरक प्रश्न पूछने की अनुमति दी जा चुकी थी और नियमों के अनुसार इससे अधिक प्रश्न पूछने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस फैसले से नाराज होकर जूली ने इसे विपक्ष के अधिकारों का हनन बताया और स्पीकर से बहस शुरू कर दी।
स्पीकर की कड़ी चेतावनी
कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे पर वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी और सदन की कार्यवाही में बाधा डाली। स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सख्त लहजे में कहा, “इस तरह करोगे तो सहयोग की उम्मीद मत करना, मुझे कठोर कार्रवाई के लिए मजबूर मत करो।” उन्होंने कांग्रेस विधायकों से अपील की कि सत्र का अंतिम दिन है और इसे शांतिपूर्वक चलने दिया जाए। बावजूद इसके हंगामा जारी रहा, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई।
सत्ता पक्ष का पलटवार
संसदीय कार्य मंत्री जोगराम पटेल ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वे बेवजह सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्पीकर तीन बार अनुरोध कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस केवल हंगामे की राजनीति कर रही है।
महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा
बजट सत्र के अंतिम दिन तीन अहम विधेयकों पर चर्चा और मतदान प्रस्तावित था। इनमें प्रमुख रूप से:
- पुराने और गैर-जरूरी हो चुके 45 कानूनों को समाप्त करने वाला विधेयक।
- कोचिंग छात्रों की आत्महत्याएं रोकने और कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने संबंधी विधेयक।
- शहरी विकास प्राधिकरणों के नियमों में बदलाव से जुड़ा विधेयक।
इन विधेयकों के पारित होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने की संभावना है।
निष्कर्ष
बजट सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस द्वारा किए गए वॉकआउट से विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराव की स्थिति साफ नजर आई। जहां कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के रूप में देख रही है, वहीं सरकार इसे बेवजह हंगामा करार दे रही है। अब देखने वाली बात होगी कि इन विधेयकों पर चर्चा पूरी हो पाती है या नहीं।

Author: manoj Gurjar
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