Search
Close this search box.

उदयपुर एसीबी कोर्ट ने पूर्व सरपंच और उपसरपंच को फर्जी पट्टा जारी करने पर सुनाई तीन को तीन साल कैद की सजा

फर्जी पट्टे जारी कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने के मामले में कोर्ट ने कानपुर के तत्कालीन सरपंच और लाभार्थी को तीन साल की कैद और 70 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के अध्यक्ष एन. 2 वीरेन्द्र कुमार जसूजा, ग्राम पंचायत कानपुर के सरपंच, उमर्दा निवासी भैरुलाला नि/ए देवा मीना, एमपी सरंपच मदनलाला नि/अ लोगर डांगी और लाभार्थी मल्लातलाई सज्जनगढ़, निवासी पूजा देवी पत्नी अक्षय कुमार शर्मा को भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी तथा गबन सहित अन्य मामलों में दोषी माना।

आरोपियों ने बेनामी सरकारी जमीन पर फर्जी एग्रीमेंट कर राज्य सरकार को 1 लाख 19,120 रुपये का नुकसान पहुंचाया और लाभार्थी से भी इसका लाभ उठाया. विशेष वकील पुरूषोत्तम नामा ने मामले में साक्ष्य व दस्तावेज पेश किये. कोर्ट ने फैसले में सख्त बयान देते हुए लिखा कि मौजूदा व्यवस्था में सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने लाभ के लिए भू-माफियाओं के साथ मिलकर बहुमूल्य सरकारी जमीन के हस्तांतरण में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की व्यवस्था दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

उमरदा गांव के प्रतिनिधियों ने 21 मई 2012 को एबीसी में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरपंच और उनके उपसरपंच ग्राम पंचायत कानपुर ने राजस्व पैदा करने वाले भूमि की खसरा नंबर 6494 और 6593 की बेनामी सरकारी जमीन पर फर्जी पट्टा जारी किए. शिकायत की जांच के बाद उप स्वास्थ्य अधीक्षक राजीव जोशी ने जांच के दौरान संबंधित कार्यालय से फाइल प्राप्त की. जांच में सामने आया कि सरपंच भैरूलाल मीना और उपसरपंच मदनलाल डांगी ने अपने पद और शक्तियों का दुरुपयोग कर पूजा देवी के प्राप्तकर्ता से मिलीभगत की। 5 जून 2006 को उमरदा गांव की ग्राम पंचायत ने फर्जी तरीके से “खसरा नंबर 6593” नाम से जमीन का मालिकाना हक दाखिल कर दिया।

Rajeev Kushwaha
Author: Rajeev Kushwaha

Leave a Comment

लाइव क्रिकेट

संबंधि‍त ख़बरें

सोना चांदी की कीमत