“विधायक सोच समझकर डिजायर लिखें, ऐसा ना हो बाद में पछताना पड़े” : मुख्यमंत्री भजनलाल

जयपुर, राजस्थान: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधायकों और जनप्रतिनिधियों को ट्रांसफर की डिजायर लिखने से पहले सोच-समझकर निर्णय लेने की नसीहत दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर एक बार होने के बाद उसे दो साल तक बदला नहीं जाएगा।

डिजायर पर ट्रांसफर, फिर बदलने की मांग नहीं चलेगी

सीएम शर्मा ने विधायकों के साथ हुई बैठक में कहा, “कई बार विधायकों की डिजायर पर ट्रांसफर होता है, लेकिन कुछ ही समय बाद उस अधिकारी से मोहभंग हो जाता है और ट्रांसफर बदलने की मांग की जाती है। यह प्रक्रिया अब नहीं चलेगी।”उन्होंने जोर देकर कहा कि डिजायर लिखने से पहले पूरी जिम्मेदारी और दूरदर्शिता दिखानी होगी।

पारदर्शिता और विपक्ष को जवाब

सीएम ने ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की बात कही। उन्होंने कहा, “ट्रांसफर प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी ताकि विपक्ष को सवाल उठाने का कोई मौका न मिले।”

 

ट्रांसफर पर अस्थायी छूट: 10 जनवरी तक का समय

राज्य सरकार ने ट्रांसफर पर लगे प्रतिबंध को 1 जनवरी से 10 जनवरी तक हटा दिया है। ट्रांसफर की छूट: सभी विभागों में ट्रांसफर हो सकते हैं।

शिक्षा विभाग अपवाद: शिक्षा विभाग पर प्रतिबंध जारी रहेगा।

यह दूसरी बार है जब भाजपा सरकार ने ट्रांसफर प्रतिबंध में छूट दी है। पहली बार फरवरी 2024 में और अब जनवरी 2025 में ऐसा हुआ।

विधायकों के लिए क्या मायने रखती है नई नीति?

डिजायर लिखने से पहले सतर्कता बरतनी होगी। ट्रांसफर के बाद “मोहभंग” के मामलों पर रोक लगेगी। दो साल तक अधिकारी/कर्मचारी के स्थानांतरण में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

सियासी चर्चाएं और प्रशासनिक असर

ट्रांसफर नीति में इस सख्ती के साथ सीएम शर्मा विपक्ष और प्रशासनिक चुनौतियों को एकसाथ साधने की कोशिश कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि विधायक और जनप्रतिनिधि इस निर्देश का कितना पालन करते हैं।

नोट: यह नीति राज्य में प्रशासनिक स्थिरता लाने का प्रयास है, लेकिन विधायकों की प्रतिक्रिया भविष्य की राजनीति को प्रभावित कर सकती है।

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