नई दिल्ली: लंबे इंतजार के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम जनता को बड़ी राहत दी है। पांच साल बाद, केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कटौती की घोषणा की है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि रेपो रेट में 0.25% की कटौती की गई है, जिससे यह 6.50% से घटकर 6.25% हो गया है। इस फैसले से होम लोन, कार लोन और अन्य प्रकार के कर्ज लेने वाले लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। अब बैंक कम ब्याज दरों पर लोन दे सकेंगे, जिससे ईएमआई में कमी आएगी और आम आदमी की जेब पर बोझ हल्का होगा।
पांच साल बाद आई राहत
आरबीआई ने आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट में 0.40% की कटौती की थी और इसे 4% कर दिया था। लेकिन मई 2022 से ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी होती रही, जो मई 2023 में स्थिर हुई। इस दौरान रेपो रेट में कुल 2.50% की वृद्धि हुई और यह 6.50% तक पहुंच गया। अब 5 साल बाद इसकी कटौती की गई है, जिससे यह सवाल उठता है कि आम जनता को राहत देने में इतना समय क्यों लगा?
महंगाई और वैश्विक परिस्थितियां बनीं कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार बढ़ती महंगाई और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के चलते आरबीआई को ब्याज दरें ऊंची बनाए रखनी पड़ीं। मार्च 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य वैश्विक घटनाओं के कारण भारत में महंगाई दर तेज़ी से बढ़ी। फर्टिलाइजर्स और खाद्य तेल की कीमतों में उछाल के कारण इनपुट कॉस्ट बढ़ गई, जिससे देश में खुदरा महंगाई मार्च 2022 में 7% तक पहुंच गई।
कैसे पड़ा रेपो रेट में बदलाव का असर?
ब्याज दरों में कटौती का सीधा असर आम आदमी की ईएमआई पर पड़ेगा। जब रेपो रेट कम किया जाता है, तो बैंकों को आरबीआई से कम ब्याज पर धन मिलता है, जिससे वे अपने ग्राहकों को सस्ता लोन देने में सक्षम होते हैं। इससे बाजार में मनी फ्लो बढ़ता है और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
महंगाई दर में हालिया बदलाव
दिसंबर में रिटेल महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर 5.22% पर पहुंच गई, जबकि थोक महंगाई दर बढ़कर 2.37% हो गई। नवंबर में यह 1.89% थी।
आगे की राह
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर महंगाई नियंत्रण में रहती है, तो आरबीआई आने वाले महीनों में और अधिक राहत दे सकता है। रेपो रेट में कटौती से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी, जिससे उपभोक्ता मांग बढ़ेगी और व्यापार जगत को भी लाभ होगा।
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